राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर भगवान शिव की विश्व की सबसे बड़ी और अद्भुत प्रतिमा स्थापित की गई है | 2012 में संत मोरारी बापू ने इसकी नींव राखी थी और 2022 में नाथद्वारा भगवान शिव प्रतिमा का अनावरण किया गया | भगवान शिव की मूर्ति का निर्माण मानेसर में मूर्तिकार नरेश कुमार द्वारा किया गया |
प्रतिमा की विशेषता –
नाथद्वारा भगवान शिव प्रतिमा की ऊँचाई 369 फीट है और है विश्व में भगवान शिव की सबसे बड़ी प्रतिमा है | प्रतिमा 20 किलोमीटर दूर से ही दिखलाई देने लगाती है | 90 इंजीनियरों और 900 कारीगरों की मदद से लगभग 300 करोड़ रूपये खर्च कर प्रतिमा का निर्माण किया गया | भगवान शिव की प्रतिमा के निर्माण में 2,600 टन स्टील, 2,601टन लोहा और 26,618 क्यूबिक मीटर सीमेंट और कंक्रीट का प्रयोग किया गया | इंजीनियरों का दावा है कि नाथद्वारा भगवान शिव प्रतिमा पर 250 किलोमीटर से चलने वाली हवाओं और ओलों का भी कोई असर नहीं होगा | भगवान शिव की यह प्रतिमा कोर वाल तकनीक से तयार की गई है जिससे 250 सालों तक किसी प्रकार के रख-रखाव की आवश्यकता नहीं है |
किसकी कितनी ऊँचाई –
नाथद्वारा भगवान शिव प्रतिमा का अनुभव गलियारा 20 फीट, भगवान शिव की आसन गैलरी 110 फीट , बांया कन्धा 270 फीट और दांया कन्धा 280 फीट की ऊँचाई पर है | प्रतिमा की कुल ऊँचाई 369 फीट है |
भगवान शिव की प्रतिमा से ऊपर जाने के लिए 4 लिफ्ट और अलिवेटर लगाए गए हैं | लिफ्ट की सहायता से भगवान शिव के कंधे तक पहुंचा जा सकता है | प्रतिमा के पास अत्याधुनिक लेजर लाईट लगाई गईं हैं जो रात में बहुत सुन्दर दिखलाई देती हैं | प्रतिमा में पानी के दो बड़े टेंक बनाये गए हैं एक टेंक से भगवान शिव के जटाओं से गंगा जल निकालने और दुसरे टेंक का पानी आपात काल के लिए रखा गया है | पर्यटक यहाँ गोल्फ कोर्स और बंजी जंपिंग का मजा भी ले सकते हैं |
दर्शन व्यवस्था-
नाथद्वारा में भगवान शिव की प्रतिमा के दर्शन हेतु 700 लोगों को एक दिन में एंट्री मिल सकेगी | 60 लोग एक बार में अन्दर जा सकेंगे जिसमें 10-10 लोग प्रतिमा के अलग-अलग स्थानों पर दर्शन कर सकेंगें |
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