मुरैना जिला अपने सांथ कई ऐतिहासिक धरोहरों को संजोय हुए है इन धरोहरों का संबंध महाभारत काल से लेकर गुप्त काल और गुप्त काल से लेकर आधुनिक काल तक है | मुरैना जिले में स्थित नरेश्वर शिव मंदिर इन्ही दुर्लभ धरोहरों में से एक है | मुरैना जिले में स्थित नरेश्वर मंदिर तीसरी शताब्दी से लेकर सातवीं शताब्दी तक बने मंदिरों की श्रंखला है | नरेश्वर मंदिर चट्टानों को काटकर बनाये गए हैं यहाँ बने अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं इन मंदिरों में छोटे-छोटे शिव लिंग स्थापित है और मंदिर के पास कुछ तालाब हैं इन तालाबों का पानी रिसकर मंदिरों तक आता है और इसी पानी से मंदिरों में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक होता है | मुरैना जिले के रिठोरा के जंगलों में यह स्थान मौजूद है | नरेश्वर मंदिर तक पहुँचने का मार्ग बहुत कठिन है यहाँ तक पहुँचने के लिए 2-3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है |
नरेश्वर मंदिरों का इतिहास | Nareshwar Temple History –
नरेश्वर मंदिरों का निर्माण तीसरी से सातवी शताब्दी के बीच अर्थात गुप्त काल में हुआ था | बाद में नौवी शताब्दी में इनकी भव्यता को और बढाया गया | वर्तमान में 23 मंदिर पूरी तरह सुरक्षित हैं इनमें से 22 मंदिरों में शिवलिंग विराजमान है और एक हरसिद्धि माता का मंदिर है | इन मंदिरों के आलावा यह 20 से 25 मंदिर के अवशेष यहाँ मिलते हैं जो यहाँ बिखरे हुए हैं | नरेश्वर महादेव मंदिर नरेश्वर गाँव के पास स्थित है माना जाता है कि पहले यह गाँव एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा होगा क्यूंकि यहाँ बड़े पैमाने पर पान की खेती होती थी | तभी इन मंदिरों का निर्माण हुआ होगा और यह मंदिर शहर का हिस्सा हुआ करते थे |
नरेश्वर मंदिर की वास्तुकला | Natreshwar Tepmle architecture
नरेश्वर महादेव मंदिरों में पहाड़ी को काटकर बहुत से छोटे-छोटे मंदिर बनाये गए हैं जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं | इनमें से कुछ मंदिर नष्ट हो गए है कुछ आज भी सुरक्षित हैं और कुछ मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया गया है | यहाँ स्थित सभी मंदिर वर्गाकार अर्थात चौकोर है | यहाँ स्थित अधिकांश मंदिरों में शिवलिंग स्थापित है | इन सभी मंदिरों में जलाभिषेक के बाद शिवलिंग से निकला जल एक नाली से बाहर जाता है और आगे चलकर सभी मंदिरों का जल एक बड़ी नाली से होकर एक कुण्ड में मिल जाता है | कुछ मंदिरों की दीवारों पर मूर्तियाँ बनी हुई हैं जिनमें से अधिकांश मूर्तियों को खंडित कर दिया गया है |
मंदिर के पास ही दो तालाब बने हुए हैं तालाब और मंदिर इस प्रकर बनाये गए हैं कि इन तालाबों से पानी रिसकर सीधे मंदिर तक जाता है और शिवलिंगों का जलाभिषेक करता है | बरसात में जब यह तालाब पानी से पूरी तरह भर जाते हैं तो इन तालाबों का पानी मंदिरों के अंदर तक जाता है किन्तु मंदिरों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता अर्थात पृकृति ही भगवान शिव का जलाभिषेक करती है |
नरेश्वर मंदिरों का जीर्णोद्धार | Restoration of Nareshwar temples-
वर्तमान में ए.एस.आई. नरेश्वर शिव मंदिरों की देखभाल करता है | ए.एस.आई. को यहाँ कई मंदिरों के अवशेष मिले इन अवशेषों से ए.एस.आई. ने फिर से कुछ मंदिरों का जीर्णोद्धार किया | इनमें हनुमान जी का मंदिर प्रमुख है | ए.एस.आई. समय समय पर इन मंदिरों की मरम्मत करता रहता है | मंदिरों की देखरेख के लिए ए.एस.आई. ने यहाँ कुछ कर्मचारी भी रखें हैं |
नरेश्वर मंदिर कैसे पहुंचें | How to Reach Nreshwar Morena-
नरेश्वर महादेव मंदिर जाने के लिए पहले मुरैना या ग्वालियर आना पड़ेगा वहां से अपने साधन से या कैब की मदद से नरेश्वर महादेव मंदिर पहुंचा जा सकता है |
सड़क मार्ग –
नरेश्वर महादेव मंदिर ग्वालियर, मुरैना और भिंड जिले की सीमा पर मुरैना जिले के अंतर्गतनरेश्वर गाँव में आता है | नरेश्वर की मुरैना से दूरी 50 किलोमीटर और ग्वालियर से दूरी 30 किलोमटर है | मुरैना से नूराबाद और रिठोरा होकर नरेश्वर जाया जा सकता है | ग्वालियर से जाने के लिए मालनपुर होकर जाना पड़ता है |
रेल मार्ग –
नजदीकी रेल्वे स्टेशन ग्वालियर और मुरैना हैं जो दिल्ली –मुंबई मुख्य रेल्वे मार्ग पर स्थित होने के कारण देश के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं |
हवाई मार्ग –
नरेश्वर महादेव मंदिर सेव नजदीकी हवाईअड्डा ग्वालियर है |
इन्हें भी देखें-
मुरैना और ग्वालियर के प्रमुख होटल्स-