जबलपुर के कुण्डम में भगवान शिव को समर्पित कुंडेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें भगवान् शिव की अलौकिक प्रतिमा विराजमान है | कुंडेश्वर महादेव मंदिर के पास ही एक कुण्ड है जो हिरन नदी का उद्गम स्थल है | हिरन नदी इसी कुण्ड से निकलकर जबलपुर और नरसिंहपुर जिले से होती हुई पवित्र नर्मदा नदी में मिल जाती है | कुंडेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान भगवान् शिव की प्रतिमा काले पत्थर से निर्मित है और अपने आप में अन्य प्रतिमाओं से अलग है | इस स्थान पर हिरन नदी का उद्गम एक कुण्ड से हुआ है इसी कारण यहाँ भगवान शिव को कुंडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है और इसी स्थान का नाम कुण्डम पड़ गया |
भगवान शिव के मंदिर के पास ही हनुमान जी का छोटा सा मंदिर है और मंदिर के समीप एक विशाल वृक्ष है जो सैकड़ो साल पुराना है | यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और यहाँ शिवरात्रि एवं अन्य अवसरों पर मेला भी लगता है | आस-पास के लोग अपनी मन्नते मांगने यहाँ आते हैं | जिस कुण्ड से हिरन नदी निकलती है उस कुण्ड में पहले साल भर पानी रहता है किन्तु अब वरसात के कुछ महीनो बाद ही यह कुण्ड सूख जाता है | सावन के महीने में कांवड़ियों द्वारा पवित्र नर्मदा नदी के जल से कुंडेश्वर शिव जी का जलाभिषेक किया जाता है | कुंडेश्वर महादेव मंदिर में नर्मदा परिक्रमा वासियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जाती है |
हिरन नदी का उद्गम स्थल | Hiran Nadi udgam sthal-
कुंडेश्वर महादेव मंदिर से निकलने वाली नदी को हिरण नदी कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि पहले इस स्थान पर हिरनों का झुण्ड पानी पीने आया करता था इसी कारण इसे हिरन नदी कहा जाने लगा | दूसरी मान्यता है कि यह नदी हिरणी जैसी चाल से बहती है इसीलिए इसे हिरन नदी कहा गया | हिरन नदी में गंदगी बढ़ते जा रही है |
गंदगी और जंगल के कटने के कारण यह मौसमी नदी बनती जा रही है | हिरण नदी जबलपुर के कुण्डम, मझौली, शाहपुरा और पाटन होते हुए नरसिंहपुर जिले के हीरापुर गाँव में पवित्र नर्मदा नदी में मिल जाती है | हिरन नदी के किनारे मकर संक्रांति के अवसर पर मेला लगते हैं |
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