हट्टा की बावली – हट्टा बालाघाट | Hatta Ki Bawdi  Balaghat –

बालाघाट से लांजी जाते समय जिला मुख्यालय बालाघाट से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर हट्टा नामक गाँव में गोंड राजाओं द्वारा बनवाई गई बावली (बावड़ी ) है | यह बावली मध्य प्रदेश की सबसे खूबसूरत और वेहतरीन धरोहरों में से एक है | यह बावली (बावड़ी ) बहुमंजिला है और पत्थरों से निर्मित है इसकी नक्कासी और कारीगरी बहुत ही अद्बुत और बेजोड़ है |

बावड़ी की दीवारों पर तराशी हुई सुन्दर मूर्तियाँ है | हट्टा के बावड़ी के दीवारों में पत्थरों को जोड़ने के लिए चुने, गुड के घोल और बेल का उपयोग किया गया था | इस बावली में साल भर पानी रहता है | स्थानीय लोग इस बावड़ी को रहस्यमय मानते है | माना जाता है की बावली सैनिकों के बैरक थी और इसका निर्माण सैनिकों के रुकने और छिपने के लिए किया जाता था |

हट्टा की बावली का निर्माण –


इस क्षेत्र में हैहयवंशी राजाओं ने फिर गोंड राजाओं ने तत्पश्चात मराठा और अंग्रेजों ने राज्य किया | गोंड राजाओं द्वारा बनवाई गई इसबावली (बावड़ी )का निर्माण 17 से 18 शताब्दी के बीच का माना जाता है | माना जाता है कि इस बावली का निर्माण गोंड राजा हटे सिंह वल्के द्वारा अपने सनिकों को रुकने, छिपने , आराम करने और पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए किया गया था | कहा जाता है कि राजा हटे सिंह वल्के के नाम पर ही इस गाँव का नाम हट्टा रखा गया |

गोंड राजाओं के बाद यहाँ भोंसले मराठों का अधिपत्य हो गया | भोंसले राजाओं के समय भी इस बावली का उपयोग होता रहा | आजादी के बाद यह बावड़ी स्थानीय जमीदारों के अधीन थी जिसे 1987 में शासन ने अपने अधीन कर लिया तत्पश्चात पुरातत्व विभाग को सोंप दिया गया | माना जात है कि इस बावली (बावड़ी ) में कुछ सुरंग हैं इनमें से एक सुरंग लांजी के किले तक जाती थे |

हट्टा की बावली की संरचना –

हट्टा की बावली बहुमंजिला है और पत्थर से निर्मित बावली की दीवारों पर की गई नक्कासी अदभुत है | इस बावली (बावड़ी ) में पानी का स्तर दो मंजिल से नीचे नहीं उतरा है | बाहर चाहे कितना भी सूखा पड़े पर इस बावड़ी में हमेशा पानी भरा रहता है | बावली की दीवारों पर सुन्दर मूर्तियाँ बनी है | हट्टा की बावली में गोंड वास्तुकला और उत्तर भारतीय वास्तुकला की झलक साफ़ देखी जा सकती है |

बावली के अन्दर कई सुरंग है इनमें से एक सुरंग लांजी के किले तक जाती थी | बावली में हमेशा पानी भरा रहता है | बावली का उपयोग राजा स्नान करने के लिए किया करते थे बावड़ी से जुडी कई किंवदन्तिया हैं | इस बावड़ी पर हैहयवंशी , गोंड राजाओं और मराठों ने शासन किया | अब यह बावड़ी पुरातत्व विभाग के अधीन है | 1987 में शासन ने इस बावली (बावड़ी )स्थानीय जमीदार से लेकर अपने अधीन कर पुरातत्व विभाग को दे दिया |

Hatta ki bavdi balaghat
हट्टा की बावड़ी बालाघाट

हट्टा की बावली से जुड़े मिथक –

बावली (बावड़ी ) के संबंद में कई मिथक जुड़े हैं | स्थानीय लोगों के अनुसार हट्टा की बावली में एक चोर कक्ष है | पहले इस कक्ष में एक चोर रहता था जो आस-पास चोरी करता और इस बावड़ी में आकर छुप जाता था | चोर के सांथ उसकी पत्नी भी रहती थी | चोर के सांथ उसकी पत्नी भी रहती थे | कुछ समय बाद उसकी बीबी ने एक बच्चे को जन्म दिया | इसी बच्चे के रोने की आवाज से लोगों को यहाँ चोर छुपे रहनी की जानकारी मिली | तभी से बावड़ी के इस कक्ष को चोर कमरा कहा जाने लगा | एक ने मिथक यह है की बावड़ी में एक बड़ी मछली रहती है जो सिर्फ भाग्यशाली लोगों को ही दिखती है |

हट्टा की बावली (बावड़ी ) कैसे पहुंचे –

सड़क मार्ग –
हट्टा सड़क मार्ग से जाने पर बालाघाट और गोंदिया के बीच आता है | बालाघाट जिला मुख्यालय से हट्टा गाँव की दूरी लगभग 20 किलोमीटर , गोंदिया से 37 किलोमीटर और नागपुर से 172 किलोमीटर है |

रल्वे मार्ग –
हट्टा रेल्वे स्टेशन एक छोटा रेल्वे स्टेशन है | नजदीकी बड़े रल्वे स्टेशन गोंदिया और बालाघाट ही हैं |

हवाई मार्ग –
निकटतम एयरपोर्ट डॉ. बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर हवाई अड्डा है | यहाँ से बस, टेक्सी या रेल्वे मार्ग से बालाघाट या गोंदिया होकर हट्टा जाया जा सकता है |

hatta bavli balaghat
Hatta bavli balaghat

प्रश्नोत्तर

प्रश्न- हट्टा की बावली जिस जिले में है ?

उत्तर- हट्टा की बावली बालाघाट जिले के हट्टा गाँव में है |

प्रश्न- हट्टा की बावली का निर्माण किसने करवाया था ?

उत्तर- हट्टा की बावली का निर्माण गोंड राजा हटे सिंह वल्के द्वारा करवाया गे था |

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