सागर जिले की रहली तहसील के पास रानगिर में माता हरसिद्धि का प्रसिद्ध मंदिर है | रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर को स्थानीय लोग 52 शक्ति पीठों में से एक मानते हैं माना जाता है कि इस स्थान पर माता की रान (जांघ) गिरी थी इसीलिए इस स्थान का नाम रानगिर पड़ा | रानगिर हरसिद्धि माता का रूप दिन में तीन बार बदलता है प्रातः माता वाल्यावस्था में , दोपहर में युवावस्था में और शाम को बूढी माता के रूप में दिखलाई देती हैं | माता के मंदिर का निर्माण कब और किसने किया था इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है | रानगिर हरसिद्धि माता का मंदिर घने जंगलों से घिरा है और मंदिर के पास से ही देहार नदी बहती है जो मंदिर के वातावरण और शांत और इस स्थान की सुन्दरता को कई गुना बढ़ा देती है |
रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर
हरसिद्धि माता का मंदिर बहुत बड़ा है जिसके चारो तरफ गलियारा है और मध्य में माता हरसिद्धि का मंदिर है मंदिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा विराजमान है | मंदिर के दरवाजों पर सुन्दर नक्कासी की गई है | मंदिर परिसर के पास कुछ छोटे मंदिर भी हैं | रानगिर मंदिर में हमेश भक्तों की भीड़ लगी रहती है | हरसिद्धि माता मंदिर परिसर में विशाल दीवार है जिसके बाहर प्रसाद की दुकाने हैं | इन दुकानियो से नारियल, चुनरी और प्रसाद लिया जा सकता है | मंदिर के सामने से देहार नदी बहती है नदी के आस-पास प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है | नवरात्री में यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है | चैत्र नवरात्री में मेला भी लगता है | माना जाता है कि यहाँ भक्तों की सभी मन्नतें पूरी होती हैं |
हरसिद्धि माता मंदिर रानगिर सागर
प्राचीन बूढी रानगिर माता
माता हरसिद्धि का प्राचीन मंदिर बूढी रानगिर में स्थित है बाद में माता को नए मंदिर में विराजमान किया गया था | देहार नदी के दूसरी तरफ बूढी रानगिर मंदिर है| बूढी रानगिर मंदिर जाने के लिए इसके लिए देहार नदी को पार करके जंगल के रास्ते मंदिर तक जाया जा सकता है | रास्ता उबड़-खाबड़ है रास्ते में बन्दर भी मिलते हैं | मंदिर बहुत प्रचीन है | मंदिर छोटा है जिसमके गर्भ गृह में बूढी रानगिर माता विराजमान है |
रानगिर मंदिर का इतिहास
माता हरसिद्धि से जुडी बहुत सी कथाएं है | एक कथा के अनुसार इस स्थान पर एक चरवाहा रहता था उसकी एक लड़की थी जिसके सांथ माता हरसिद्धि प्रतिदिन एक कन्या के रूप में खेलने आती थीं और जाते-जाते चरवाहे की कन्या को चाँदी का सिक्का देकर जाती थीं | चरवाहा यह जानना चाहता था की उसकी कन्या को चाँदी का सिक्का कौन देकर जाता है इसिलए एक दिन उसने छुपकर माता के कन्या रूप को देख लिया | जब माता को यह पता चला तो वह उसी समय पाषाण मे बदल गई | इसके बाद चरवाहे ने उस स्थान पर पर चबूतरा बना कर माता की स्थापना की |
रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर कैसे पहुंचें
रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर सागर जिले के रानगिर नामक स्थान पर घने जंगलों के बीच स्थित है | रानगिर सागर की रहली तहसील के अंतर्गत आता है | सागर से रानगिर जाने के दो रास्ते हैं | पहला रास्ता सागर नरसिंहपुर मार्ग पर सुरखी नामक स्थान से कुछ आगे मुख्य मार्ग से हटकर लगभग 10 किलोमीटर जाना पड़ता है | दूसरा रास्ता जबलपुर सागर मार्ग से रहली होते हुए जाना पड़ता है जिसमें पांच मील नामक स्थान से मुख्य सड़क से हटकर रानगिर जाया जा सकता है | दोनों तरफ से रानगिर जाने के लिए पक्की सड़के हैं |
हवाई मार्ग- निकटम एयरपोर्ट जबलपुर है जो लगभग 180 किलोमीटर है | भोपाल एयरपोर्ट लगभग 200 किलोमीटर है |
ट्रेन मार्ग – रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर पहुचने के लिए निकटतम रेल्वे स्टेशन सागर है |
सड़क मार्ग – रानगिर हरसिद्धि माता मंदिर सड़क मार्ग से सागर, जबलपुर, नरसिंहपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है | यहाँ विशेष अवसरों पर सागर और रहली से बस चलती हैं किन्तु अपने साधन से जाना ज्यादा सुविधाजनक है |
- इन्हें भी देखें-
- पटनेश्वर महादेव मंदिर ढाना सागर
- श्रीयंत्र मंदिर अमरकंटक