मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बीरसिंहपुरपाली में बिरसिनी माता का प्रसिद्ध मंदिर है | बिरसिनी माता मंदिर में माता काली की 11 वीं शताब्दी में निर्मित भव्य प्रतिमा विराजमान है | बिरसिनी माता काली माँ का ही रूप हैं | यह प्रतिमा भारत की उन गिनी चुनी प्रतिमाओं में से एक है जिनमें माता काली की जीभ बाहर नहीं है | माता के दरबार में भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है | मंदिर में आने वाले निःसंतान दम्पत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है |
बिरसिनी माता मंदिर परिसर –
बिरसिनी माता मंदिर संगमरमर से निर्मित सुन्दर मंदिर है | मंदिर के गर्भगृह में माता बिरसिनी की प्रतिमा स्थित है | मंदिर में माता बिरसिनी के पास ही भगवान हरी-हर विराजमान है | मंदिर के अन्दर की दीवारों पर चारो तरफ देवी-देवताओं की प्रतिमायें रखी हुईं हैं |
बिरसिनी माता मंदिर के पास अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी हैं जिनमें हनुमान जी का मंदिर , भगवान जगन्नाथ का मंदिर , राधा-कृष्ण मंदिर , दुर्गा माता मंदिर , शनि देव मंदिर प्रमुख हैं |
मंदिर परिसर में हवन और कथा आदि के लिए अलग व्यवस्था है | परिसर के अन्दर ही मंदिर का कार्यालय और मुंडन स्थल हैं | मंदिर में जवारा रखने के लिए दो मंजिला भवन बनाया गया है |
बिरसिनी माता मंदिर निर्माण की कथा –
कहा जाता है की बहुत समय पहले पाली निवासी धोकल नामक व्यक्ति को बिरसिनी माता ने सपने में स्वप्न देकर बतलाया की खेत में उनकी मूर्ति है | धोकल ने सपने में बतलाये हुए स्थान पर खुदाई की तो वहाँ माता की प्रतिमा मिली | किसान ने प्रतिमा लाकर एक छोटा सा मंदिर बनवाया बाद में पाली के राजा बीरसिंह ने इसी स्थान पर माता का मंदिर बनाया |
वर्तमान मंदिर का निर्माण 1989 से प्रारंभ हुआ और 22 अप्रेल 1999 को जगतगुरु शंकराचार्य पुरी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के हाथों पुनः प्राण प्रतिस्था हुई|
नवरात्री में मंदिर में विशेष चहल-पहल रहती है | दूर-दूर से भक्त अपनी मन्नत मांगने यहाँ आते हैं | जिन भक्तों की मनोकामनायें पूरी होती हैं उनके द्वरा यहाँ भण्डारे करवाए जाते हैं , जवारे रखे जाते हैं | मंदिर समिति द्वारा जवारे रखने के लिए दो मंजिला भवन का निर्माण किया गया है जिसमें कलश और जवारे रखे जाते हैं | मंदिर समिति द्वारा तेल जवारे कलश, घी जवारे कलश , और मनोकामना कलश रखे जाते हैं | नवरात्री में भक्तजन अपने बच्चों का मुंडन और कर्णछेदन भी मंदिर परिसर में करवाते हैं | नौं दिन मंदिर परिसर में माता की भक्ति और सेवा बड़े ही उत्साह और श्रद्धाभाव से की जाती है | जवारा विसर्जन में बड़ी संख्या में भक्तजन सम्मिलित होते हैं | बिरसिनी माता जवारा विसर्जन दूर-दूर तक प्रसिद्ध है |
बिरसिनी माता मंदिर पाली कैसे पहुंचे –
बीरसिंहपुर पाली रेलवे स्टेशन कटनी-बिलासपुर मार्ग पर स्थित है | स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र ½ किलोमीटर है | पाली सड़क मार्ग से उमरिया, शहडोल , डिन्डोरी और जबलपुर से जुड़ा हुआ है | नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर है |