लांजी का किला मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित 12 वीं शताब्दी में निर्मित किला है | लांजी के किले को लांजीगढ़ के नाम से भी जाना जाता है | इस किले का निर्माण गोंड राजाओं द्वारा करवाया गया था | लांजी का किला 7.5 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है और चारो तरफ ऊँची दीवारों से घिरा है | दीवारों की ऊँचाई लगभग 20 फीट है | लांजी के किले की दीवारों के कोनो पर चार बुर्ज थे , जिनमें से दो बुर्ज समय के सांथ नष्ट हो गए हैं और दो बुर्ज अभी भी बचे हुए हैं | किले में प्रवेश करने के लिए गेट बना हुआ है इसी गेट से होकर किले के अन्दर जाया जा सकता है |
किले का बहुत सा हिस्सा देखरेख के अभाव में और समय के सांथ-सांथ नष्ट हो गया है | किले की दीवारों और अन्य हिस्सों पर पेड़ पौधे उगने लगे हैं | किले की दीवारों पर सुन्दर नक्कासी उकेरी गई है | किले के अन्दर बहुत बड़े और पुराने बरगद के वृक्ष लगें है | स्थानीय लोगों के अनुसार इन बरगद के पेड़ों की आयु लगभग 300 वर्ष हैं |
आज लांजी का किला भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा संरखित किया जा रहा है | किले के बाहर पुरातत्व विभाग का बोर्ड भी लगा है |
लांजी के किले के पास एक तालाब है | इस तालाब के बीच में एक खम्बा लगा है | आज भी इस तालाब के जलस्तर को देखकर स्थानीय लोग बाढ़ का अंदाजा लगा लेते हैं |
लांजी के किले का स्नानागार
लांजी के किले के अन्दर स्नानागार भी है जिसके तट अभी भी दिखलाई देते हैं | इस स्नानागार की लम्बाई 70 फीट और लम्बाई 60 फीट है | इस स्नानागार में राजा , रानी और शाही परिवार के सदस्य स्नान करते थे |
लांजी के किले का निर्माण
इस किले का निर्माण 1114 ईसवीं में राजा मलुकोमा ने करवाया था | राजा मलुकोमा राजकुमारी हसला के दादा थे | राजकुमारी हसला ने अपने पिता के मान सम्मान और प्रजा की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था और लोग उन्हें देवी के रूप में पूजते हैं |
लंजकाई माई का मंदिर
लांजी के किले के पास ही लंजकाई माता का मंदिर है | यह मंदिर बहुत प्राचीन है स्थानीय लोग और आस-पास के श्रद्धालु यहाँ पूजा करने आते हैं कहते हैं यहाँ मांगी गई भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है | मंदिर और आस-पास का वातावरण बहुत शांत है |
मंदिर बहुत सुन्दर है | मंदिर पूर्व मुखी है और पत्थरों से निर्मित है मंदिर अभी भी सुरक्षित है | मंदिर तीन कक्षों से मिलकर बना है | मुख्य कक्ष मध्य में है और इसी में गर्भ गृह है | मुख्य कक्ष के दोनों तरफ भी एक-एक कक्ष है जिनमे देवी-देवताओं की प्रतिमायें स्थापित हैं | मंदिर की दीवारों पर सुन्दर नक्कासी की गई है | मंदिर की दीवारों पर मूर्तियाँ भी बनी हुई है जिनमें से कुछ मूर्तियों का समय के सांथ क्षरण हो गया है जबकि कुछ मूर्तियाँ आज भी सुरक्षित हैं |
लांजी कैसे पहुंचें –
लांजी का किला बालाघाट से लगभग 50 किलोमीटर दूर लांजी नामक स्थान पर है | लांजी एक तहसील मुख्यालय है | बालाघाट से लांजी सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है | नजदीकी रेल्वे स्टेशन बालाघाट है |
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