64 योगिनी मंदिर जबलपुर | 64 Yogini Mandir Jabalpur –

जबलपुर के भेड़ाघाट में 64 योगनियों का प्रसिद्ध मंदिर है | मंदिर वृत्ताकार आकृति में बना है | चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश की जीवन दायिनी नदी माँ नर्मदा से कुछ ही दूरी पर 70 मीटर की ऊँची पहाड़ी पर स्थित है | मंदिर वृत्ताकार है जिसमें 64 (चौसठ) योगनियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं जिनमे से अधिकांश मूर्तियाँ औरंगजेब के समय तोड़ दी गईं थीं | मंदिर के मध्य में सुन्दर नक्कासी युक्त प्राचीन गौरी-शंकर मंदिर है | गौरी-शंकर मंदिर में नंदी पर बैठे भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित है | इस प्रतिमा में भगवान शिव के दर्शन दूल्हा रूप में होते हैं | यह प्रतिमा भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को दर्शाती है | गौरी-शंकर मंदिर के सामने एक छोटा मंदिर और शिवलिंग स्थापित है | माना जाता है की भारत की पुरानी संसद भवन की बिल्डिंग की प्रेरणा इसी मंदिर से मिली थी |

चौसठ योगिनी मंदिर की नक्कासी

64 योगिनी मंदिर बलुआ और ग्रेनाईट के पत्थरों से निर्मित है एवं वृत्ताकार आकृति में बना है | मंदिर का बाहरी व्यास 130 मीटर और आंतरिक व्यास 116 मीटर है | मंदिर में कुल 84 मूर्तियाँ हैं जिनमे 64 योगनियों की एवं अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमायें हैं | प्रतिमाओं पर 10 वीं शताब्दी की लिपि में देवियों के नाम खुदे हैं | 64 योगिनी मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं में से एक दूसरी शताब्दी ( कुषाण कालीन) प्रतिमा है एवं एक अन्य प्रतिमा 8 वीं शताब्दी की है जिससे प्रतीत होता है की मंदिर10 वीं शताब्दी या उससे पहले का है एवं यहाँ अलग-अलग समय में मंदिरों का निर्माण हुआ होगा | मंदिर के मध्य में स्थित गौरी-शंकर मंदिर का निर्माण 1155 ईसवीं में राजा नरसिंहदेव के राज्यकाल में उनकी माता अल्हड़ा देवी ने करवाया था | गर्भगृह की वाहरी दीवार पर एक शिलालेख लगा है जिससे मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं इस शिलालेख के अनुसार 1180-1195  ई. में महाराजा विजय सिंह की माता गोसल देवी यहाँ नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं |

चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर

प्रकृति की गोद में स्थित है 64 योगिनी मंदिर

घने जंगल से घिरा चौसठ योगिनी मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित हैं | रोड के पास मुख्य गेट से मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं | गेट के पास ही पुरातत्व विभाग द्वारा लगवाये गए शिलालेख हैं जिनमें मंदिर के इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है | सीढ़ियां चढ़कर जब मंदिर तक पहुँचते है तब वृत्ताकार आकृति में बना मंदिर दिखलाई देता है जिसके अन्दर जाने के लिए एक और गेट है |  मंदिर के चारो ओर बड़े बड़े पेड़ लगे हैं | मंदिर के अन्दर और बाहर से माँ नर्मदा के दर्शन होते हैं | मंदिर से सूर्यास्त का सुन्दर दृश्य दिखलाई देता है | यहाँ आस-पास दर्शनार्थियों के बैठने के लिए कुर्सियां लगाए गई हैं |

चौसठ योगिनी मंदिर से जुड़ी कथा

जबलपुर और आस-पास के लोगों में चौसठ योगिनी मंदिर के प्रति अटूट श्रद्धा है | मंदिर के संबंध में भगवान शिव से जुडी एक कथा है | मान्यतानुसार इस स्थान पर सुवर्ण नामक ऋषि का आश्रम था | वे प्रतिदिन माँ नर्मदा में स्नान करके भवगान शिव की आराधना करते थे | एक बार भगवान शिव माता पार्वती के सांथ कहीं जा रहे थे तभी इस स्थान से जाते हुए वे यहीं रुक गए | भगवान शिव को देखकर सुवर्ण ऋषि को अत्यधिक प्रसन्नता हुई | ऋषि ने भगवान शिव से विनती करी कि जब तक वो नर्मदा स्नान और पूजा-पाठ करके नहीं आ जाते तब तक भगवान शिव यहीं विराजमान रहें | जब ऋषि नर्मदा स्नान कर रहे थे तब उबके मन में विचार आया कि अगर वो जल समाधि ले लें तो भगवान शिव हमेशा इस स्थान पर विराजमान हो जायेंगें और लोगों पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी | सुवर्ण ऋषि ने ऐसा विचार कर जल समाधी ले ली | माना जात है की तभी से इस स्थान पर भगवान शिव की कृपा बनी हुई है | इस स्थान तक पहुँचने में लोगों को दिक्कत ना हो इसीलिए भगवान शिव ने माँ नर्मदा को अपना रास्ता बदलने के लिए कहा | भगवान शिव का आदेश मानते हुए माँ नर्मदा ने इस स्थान से अपनी जलधारा मोड़ दी और संगमरमर की चट्टानों को काटते हुए दूसरे मार्ग से आगे निकल गईं |

CHOUSATH YOGINI MANDIR OUTER PART
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर का बाहरी दृश्य

चौसठ योगिनी मंदिर और तंत्र साधना 

प्राचीन समय में 64 योगिनी मंदिर तंत्र साधना का महत्वपूर्ण केंद्र था | यहाँ गृह नक्षत्रों, गणित और संस्कृत के अध्ययन के लियी दूर-दूर से लोग आते थे | मंदिर में ज्योतिष विद्या और आयुर्वेद की शिक्षा भी दी जाती थी यहाँ काल गणना और पंचांग का निर्माण भी किया जाता था |

64 योगिनी मंदिर पर इस्लामिक आक्रमण

भारत के अन्य मंदिरों की तरह ही चौसठ योगिनी मंदिर पर अतातईयों द्वारा समय-समय पर हमले होते रहे हैं और इन्हें नुक्सान पहुँचाया जाता रहा है | परन्तु इस मंदिर को सबसे अधिक नुक्सान औरंगजेब द्वारा पहुँचाया गया है| औरंगजेब द्वारा चौसठ योगिनियों की सभी प्रतिमाओं को खण्डित कर दिया गया किन्तु गौरी-शंकर मंदिर में स्थापित भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा आज भी पूरी तरह सुरक्षित है |

64 योगिनी प्रतिमा
64 योगिनी मंदिर भेडाघाट में स्थित एक प्रतिमा

चौसठ योगिनी मंदिर कैसे पहुंचें

चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर के भेड़ाघाट में स्थित है | भेड़ाघाट से जबलपुर की दूरी 22 किलोमीटर है | जबलपुर बस स्टैंड और रेल्वे स्टेशन से भेड़ाघाट जाने के लिए सिटी बस और ऑटो मिलते हैं | जबलपुर भारत के प्रमुख शहरों में से एक है यह देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है | जबलपुर रेल्वे स्टेशन देश के महत्वपूर्ण शहरों के लिए आसानी से ट्रेन मिल जाती हैं | जबलपुर एअरपोर्ट की जबलपुर शहर से दूरी लगभग 30 किलोमीटर है | 

इन्हें भी देखें-

श्री पाटबाबा मंदिर

मदन महल का किला

बैलेंसिंग रॉक्स जबलपुर 

कुंडेश्वर शिव मंदिर कुण्डम

64 Yogini Mandir Photos

chousath yogini mandir jabalpur
चौसठ योगिनी मंदिर की सीढियां
64 YOGINI MANDIR SEDHIYAN
चौसठ योगिनी मंदिर से माँ नर्मदा के दर्शन
64 योगिनी प्रतिमा
64 योगिनियों में से एक योगिनी की प्रतिमा
चौसठ योगिनी मंदिर
पुरातत्व विभाग का शिलालेख
YOGINI PRATIMA 64 YOGINI MANDIR
चौसठ योगिनी मंदिर प्रतिमा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *